हरिभूमि में 28/08/2010 को प्रकाशित व्यन्ग
मैं कला विषय का विधार्थी रहा हूं। विज्ञान मुझे कभी समझ नहीं आया। कोई कुछ भी कह देता है। तो मान लेता हूं। अभी स्वास्थ्य मंत्री का बयान आया है कि खेलों के कारण दिल्ली में डेगूं फैला है। मुझे बड़ा आश्चर्य हुआ। पहले मैनें सोचा कि भई यह खेल कोई मच्छर की वैरायटी तो नहीं है। कहीं विदेशियों ने खेल के माध्यम से कहीं कोई बीमारी तो नहीं भिजवा दी। पर मैंने सोचा तो वाकई मुझे सही लगा। कोई भी आयोजन हो। कुछ न कुछ बात हो जाती है। जब तक कोई विवाद खड़ा नहीं हो तो कोई कार्य उचित तरीके से सम्पन्न नहीं होता। लेकिन अब क्या करें। पूरी दुनिया में नाक रखने के लिए हमने राष्ट्रमंडल खेलों का आयोजन किया। अब क्या करें। लोग-बाग तो देश का नाम उंचा नहीं रखते। तो अब सरकार तो कुछ तो करेंगी। परंतु सब उल्टा हो गया। देश में सब ओर कभी-कभी मुझे समझ नहीं आता। कि कौन सी चीज किस कारण से उत्पन्न हुई है। मैं अपने दिमाग पर बहुत ही जोर डालता हूं। कुछ समझ नहीं पाता। अब मैं ठहरा कला का विधार्थी, यही सोचकर रह जाता हूं। कि डेंगू किसी वायरस से हुआ होगा। किसी बदमाश मच्छर की शरारत होगी। लेकिन अब पता चला कि यह क्यों हुआ। भई बड़े लोगों की बातें ही निराली है। वो ही सही तरीके से समझ पाते हैं। कि कौनसी चीज कैसे होती है।
आज यदि देखा जाए तो दिल्ली विश्व के सर्वाधिक साफ द्राहरों में है। गंदगी तो उसे कहीं दूर से भी नहीं छूती है। वहां कोई किसी तरह का कीटाणु आते हुए ही शर्माता है। न तो कोई बीमारी होती, और न कहीं किसी तरह की गंदगी। वहां के लोग इन बीमारियों का नाम भी नहीं जानते हैं। वो तो बेडा गर्क हो। इन राष्ट्रमंडल खेलों का। जो न जाने कौन-कौन सी बीमारियां हमें दे जा रहे हैं।
अब देखिए, इन खेलों के कारण ही जगह-जगह निर्माण कार्य चल रहे हैं। न जाने कितनी जगह गद्दे खुदे हुए हैं। न जाने कितनी जगह पानी भरा हुआ है। मानसून भी इस साल इतना बरसा कि बस चारों ओर पानी ही पानी हो रहा है। बस मौका पाकर डेंगू का वायरस भी मैदान में कूद गया है।
यानी कि खेल ही सभी मुसीबतों का कारण हैं। खेल नहीं होते तो भ्रष्टाचार नहीं होता। आज हम विश्व के सामने नए रिकार्ड बनाने को मजबूर नहीं होते कि एक सामान की कीमत से कई गुना राशी उसके डेढ माह के किराए के लिए दी जाती है। खेल का आयोजन नहीं होता तो नेताजी मानसून मिसाईल से इसके विनाश का आह्वान नहीं करते। खेल नहीं होता तो प्रधानमंत्री को निरीक्षण के लिए मजबूर नहीं होता। और सबसे बड़ी बात तो खेल नहीं होता तो कम से कम डेंगू तो नहीं होता।
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