रविवार, 29 जून 2008

मोबाइल : कुछ बोध कथाएँ


    1. यदि दार्शनिक अंदाज़ में देखा जाए तो इसकी व्याख्या बिल्कुल ऐसे की जा सकती है । जैसे कण- कण में परमात्मा है । उसी तरह मोबाइल के लिए कह सकते है । यह भी सब जगह मोजूद है । पेश है कुछ बोध kathaye :