शुक्रवार, 27 नवंबर 2009

व्यंग्य: फिल्म 2012 का मसाला हिंदी संस्करण

दैनिक भास्कर: रागदरबारी में प्रकाशित 26.11.09




सचमुच जब भी मैं विदेशों की ओर देखता हूं। तो मुझे बहुत ग्लानि होती है। दुनिया में सबसे अच्छे काम हम कर सकते हैं और नाम उनका होता है। दुनिया भर में चर्चा है कि दो हजार बारह में दुनिया नष्ट हो जाएगी। उन्होंने इस पर फिल्म भी बना ली। आज सभी जगह इसकी चर्चा हो रही है। वो मंाग कर रहे हैं कि ओबामा को भी यह फिल्म देखनी चाहिए। मुझे बहुत दुख होता हैै। यह फिल्म उन्होंने कैसे बना ली, हम कैसे पीछे रह गए। आज यह फिल्म हम बनाते तो निश्चित रूप से उनसे बेहतर ही बनाते। सो हम भी आजकल ’असली’ नई दो हजार बारह बना रहे हैं।
अब अंग्रेजी फिल्म में क्या है। एक भी तो गाना नहीं है। हमारे यहंा तो जब तक सात-आठ धांसू गाने नहीं होते। तब तक भला मजा आता हैै क्या। सो हम फिल्म में जगह-जगह गाने डालेंगे। हमारा देश सदैव प्रेम और भाईचारे का संदेश देता हुआ पाया जाता है। सो वो यहंा भी कैसे अछूता रह सकता है। फिल्म में दुनिया की चिंता बाद में की जाएगी। सबसे पहले हीरो-हीरोईन के बीच प्यार, इकरार दिखलाया जाएगा। जब थोड़ी प्यार-मोहब्बत सैटल हो जाएगी। तब ‘भारतीय दर्शकों’ की जरूरत के मुताबिक दृश्य डाले जाऐंगे। स्नान का भारतीय संस्कृति में बड़ा महत्व है। उसे ध्यान में रखते हुए हीरोईन को समुद्र में नहलाया जाएगा। वहंा एक बढ़िया सा गाना होगा। गाने के अंत में बड़ी-बड़ी लहरों का तूफान आएगा। पर यहंा हीरो उसे बखूबी बचाकर ले आएगा। वैसे यहंा पर कोई भारतीय साधु समाज का अवैतनिक कर्मचारी भी इस जिम्मेदारी को निभा सकता है।
अब हमारी सोच तो सकारात्मक है। अंग्रेजी फिल्म में तो सूर्य की गर्मी से यह तंाडव हुआ। यह हमारे देसी फार्मूले में यह सब नहीं चल सकता। हमारे यहंा तो सब हीरो के हाथ में ही होता है। हम स्टोरी को थोड़ा घुमाऐंगे। हीरो को अंतरिक्ष-अभियान के लिए भेजा जा सकता है। यहंा एक गाने की सिचुएशन बन सकती है। हीरोईन यान के साथ-साथ रनवे पर भागती हुई नजर आएगी। यहंा वो भागने के साथ-साथ एक गाना भी गा सकती है। अंतरिक्ष में कुछ एक्शन सीन भी दिखाए जाएंगे। हीरो के सिर पर उल्कापिंड टकराने से उसकी याददाश्त भी जाती हुई बताई सकती है। फिर यहंा एक नई हीरोईन डाल दी जाएगी। उसे किसी और ग्रह की निवासी के रूप में प्रस्तुत कर दिया जाएगा। एक-दो गाने यहंा भी हो सकते है। भारतीय फिल्म का मूल तत्व ‘प्रेम’, जो कथानक की मजबूरी के कारण दूर जाता दिखाई दे रहा था, वो इससे पास आ सकता है। हंा, अंत में भारतीय नायिका की जीत बताई सकती है।
भारतीय फिल्म बनाए और विलेन न हो। ऐसा नहीं हो सकता। एक विलेन का भी इंतजाम रखा जाएगा। जो मिसाईल के द्वारा ध्रुवों की बर्फ पिघलाने की योजना बना रहा हो। यहंा उसे हीरोईन को प्रेम करने का ’अतिरिक्त’ कार्य भी सौंपा जा सकता है। फिल्म के आखिरी दस-पन्द्रह मिनट में मिसाईल को चलाने के लिए सस्पेंस दृश्यों को डाला जाएगा। बार-बार यही दिखाया जाएगा कि मिसाईल चलेगी या नहीं। हालंाकि फिल्म देख रहे दर्शकों में बच्चों तक को इस बात की गारंटी होगी। कि भारतीय फिल्मों में डाइरेक्टर में इतनी ताकत नहीं है। कि वो ऐसा काम कर दे, जो हीरो की गरिमा के खिलाफ हो। अंततः विलेन को पीटकर हीरो झंाकी जमाएगा। यहंा विलेन की पिटाई भी होगी। हमारे यहां विलेन को पड़ने वाले लात-घूंसो की संख्या के आधार पर ही भुगतान किया जाता है।
हमारा देश समृद्ध धर्म व दर्शन का देश है। भले ही अंग्रेजी फिल्म में इतना विनाश बताया गया है। पर हम तो सदैव सकारात्मक रहे हैं। हम ऐसा नहीं कर सकते। भले ही पर्यावरण विदों के अनुसार भारी तूफान या बर्फबारी संभव हो, जिसका उपाय पर्यावरण-संतुलन में होगा। पर हमारे यहंा एक रामबाण उपाय
है, एक धार्मिक गाना, जिसके खत्म होते ही सब ठीक हो जाएगा। इसे नायिका या नायक की मंा से गवाया जा सकता है।
हालंाकि फिल्म के अंत को लेकर पर्यावरणविद चाहेंगे
कि फिल्म के अंत में एक अच्छा सा संदेश दिया जाए। अरे भई चाहते तो हम फिल्म वाले भी हैं। हरियाली की हमें भी बहुत जरूरत है। बाग-बगीचे नहीं रहेंगे तो हमारे हीरो-हीरोईन कहां नाचें-गाऐंगे। हर फिल्म में दो-चार गाने तो वहीं ही होते है।
अब संदेश को मारो गोली। दो घंटे से जो हीरो हीरोईन से बिछुड़कर पर्यावरण के लिए ऐसी की तैसी करा रहा था। उसे अब हीरोईन से मिलाना भी पड़ेगा। नहीं तो फिर यहंा दर्शक जूते फेंकने लग जाऐंगे।यहंा एक गाना भी होगा। सो अब हम तैयार हैं। दो हजार बारह में क्या होगा। यह तो भगवान ही जाने। पर इस बहाने एक फिल्म का ठीकरा आपके माथे फोड़ ही सकते हैं। तो फिर अब देखने के लिए तैयार हो जाइए। बस ‘असली’ दो हजार बारह उर्फ विनाश पर भारी प्रेम कहानी अब शुरू होने ही वाली है।
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